सनातन रक्षक संघ भारत का दृष्टिकोण
सनातन रक्षक संघ भारत का दृष्टिकोण भारतीय संस्कृति, धर्म, और परंपराओं की रक्षा और संवर्धन के लिए समर्पित एक सशक्त आंदोलन है।
1. सनातन धर्म की रक्षा: संघ का प्रमुख उद्देश्य सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों की रक्षा करना है। इसमें वेदों, उपनिषदों, और संतों के उपदेशों का सम्मान और पालन करना, धर्म, कर्म, और मोक्ष के सिद्धांतों को समझना और उनका पालन करना शामिल है। यह धर्म, सदाचार, और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का काम करेगा।
2. सांस्कृतिक पुनर्जागरण: संघ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और पुनः जागरूक करने का कार्य करेगा। यह भारतीय कला, संगीत, नृत्य, भाषाओं, त्यौहारों और पारंपरिक रीति-रिवाजों को बढ़ावा देगा, ताकि युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति और इतिहास का गर्व और समझ हो।
3. सामाजिक एकता और अखंडता: संघ का उद्देश्य भारत में विभिन्न जातियों, धर्मों और समुदायों के बीच सामाजिक एकता और समरसता को बढ़ावा देना है। यह भारत की विविधता में एकता के सिद्धांत पर विश्वास करेगा और इसके द्वारा भारत को सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से मजबूत बनाएगा।
4. धार्मिक और नैतिक शिक्षा का प्रसार: सनातन रक्षक संघ, धार्मिक और नैतिक शिक्षा का प्रचार करेगा। संघ विद्यालयों, कार्यशालाओं, और संगठनों के माध्यम से ऐसी शिक्षा देगा जो भारतीय संस्कृति, संस्कारों और आध्यात्मिक मूल्यों को बढ़ावा दे।
5. पर्यावरण संरक्षण और सततता: संघ भारतीय परंपराओं से प्रेरणा लेकर पर्यावरण संरक्षण का कार्य करेगा। भारतीय संस्कृति में प्रकृति को देवी के रूप में पूजा जाता है, और इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए संघ टिकाऊ जीवनशैली, प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा, और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाएगा।
6. रक्षा और राष्ट्र निर्माण: "रक्षक" शब्द से स्पष्ट है कि यह संघ राष्ट्र की सुरक्षा और रक्षा में भी सक्रिय रहेगा। यह भारतीय संस्कृति, धरोहर और जनता की रक्षा के लिए एक सशक्त दृष्टिकोण अपनाएगा। संघ का उद्देश्य राष्ट्र को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाना है, ताकि देश अपनी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखे।
7. आध्यात्मिक उत्थान और समाज सेवा: संघ का उद्देश्य समाज के प्रत्येक व्यक्ति का आध्यात्मिक उत्थान करना है, ताकि वे अपने जीवन को धर्म, सत्य, और प्रेम से भरपूर बना सकें। इसके साथ ही, संघ गरीबों और वंचितों की सेवा में भी सक्रिय रूप से कार्य करेगा।